Saturday, December 17, 2016

नैसर्गिक सौन्दर्य समेटे तुम उन्मुक्त हवाओं सी


नैसर्गिक सौन्दर्य समेटे तुम उन्मुक्त हवाओं सी 
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आज फिर सृजन का मूड बन गया है... लेकिन शायद इस बार आकंठ प्रेम का स्वरुप ही सामने आएगा.!!! 

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