Thursday, April 30, 2015


बिना नाम के भी कुछ रिश्ते 
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मेरे कुछ गहरे पैठे शौक में एक कविताओ का सृजन करना है ! शब्दों के साथ भावनाओ की अठखेलियाँ जब उँगलियों से बाहर आने को मचलती हैं तो व्यस्तम से व्यस्तम समय में भी सृजन हो ही जाता है.!!!! आज भी कुछ ऐसा ही हुआ !!! बस शब्द मचलते रहे और लेखनी चलती रही और अब जब जन्म हो ही गया है तो आप की नज़र ..


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