Monday, August 15, 2016


 मन भरा उमंगो से
-------------------
प्यार ......... एक मधुर अहसास,इंसान को दिया गया एक रूमानियत भरा तोहफा, जिसकी ख़ुशबू हमेशा फ़ज़ाओ में तैरती रहती है | उम्र का कोई पडाव हो, मुहब्बत हमेशा जवान रहती है, और जवान रहती हैं हमेशा भावनाए ||| जीवन के विविध रंगों से सजी ये हमारी दुनिया, मांगती है हमसे हमारा समय ... तो जनाब थोडा थोडा चुराते रहिये समय और ढूंढते रहिये मोहब्बत को जिंदा रखने की वजह .....आइये चलिए चले थोड़ी दूर ... सीपियों के संसार में,
जहाँ सिर्फ रूमानियत होती है और होती हैं अठखेलियाँ|
छिटकता है, पानी सुनहरे जिस्म में और तैरती हैं मछलियाँ, जहाँ उन्माद की आग होती है और होती है तपिश जिस्मों की
जहाँ सरसराती हैं हवाएं टकराकर कति प्रदेश से , जहाँ मुश्किल होता है खुद को सम्हालना.....

 मैं तो नंगे पाँव चला था
-------------------------
विचार क्रांति लाते हैं, विचार हम जो हैं वो हमे बनाते हैं| कहने को तो बहुत साधारण बात है, लेकिन ये सच है आशावाद और जीवन के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण आपको प्रेरित करते हैं, बेहतर से बेहतर करने के लिए | एक ऐसी ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है, जो हमें कभी न रुकने, न थकने वाला बनाती है | मैंने अपने जीवन में इस बात को पाया है और पूरे विश्वास से कहता हूँ की इस छोटे जीवन में सिर्फ अपने को बदल लो, सब बदल जाएगा | आपका अपना .. अरुणेन्द्र सोनी .प्रेरक वक्ता

 एक क्षण एक प्रहर एक दिवस एक रात
-------------------------------------

अभिन्न मित्रों,
एक कवि हृदय में काव्यसृजन के लिए विषयवस्तु का आना बहुत मुश्किल कार्य है | हज़ारों विचारों के बीच एक विचार को चुनना और उसके आसपास शब्दों का समायोजन करना कभी कभी बड़ा दुरूह प्रतीत होता है| किन्तु सच में सृजन के पश्चात प्रदत्त आनन्द का वर्णन बहुत मुश्किल है | जीवन के आस पास सजाये गये विभिन्न आयामों और प्रतीकों से अभी अभी सृजित इस कविता को पेश कर रहा हूँ आपके लिए ....

वो प्यार का मौसम कहाँ गया
-----------------------------------

जीवन के दो पक्ष हैं। एक उज्जवल पक्ष है जो मन की प्रसन्नता, खुशी, सफलता और रंजित अभिव्क्ति को अभिव्यक्त करता है तो दूसरा स्याह पक्ष दिनानुदिन की कठिनाइयों, समस्याओं, जटिलताओं और असफलताओं का परास है जो दुख, कष्ट, असन्तोष और वेदना जैसे मनोभावों में अभिव्यक्त होता है। व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन इन्हीं विभावों के स्पर्श के साथ आगे बढ़ते रहने की अनुभव कथा बन जाता है। समस्याएं कठिनाइयां और जटिलताएं जीवन की नियति है तो इस नियति पर विजय पाना हमारा धर्म है। स्याह, उदास और दर्द भरे दिनों से उबरने के लिए ज़रूरी है की मन को कही और ले जाया जाए | ऑफिस के केबिन से बाहर रिमझिम बूंदों का संसार खींच कर ले जाता है और कराता है कुछ सृजन, कुछ शब्दों की शरारत और विचारों की हरारत ......................बस कुछ यूं ही आज फूट पड़े मन के मनके मन से मन तक ........ हाँ एक अरसे बाद .. आप भी लुफ्त उठाइए ..

 आँखों ने आँखों को देखा युगों बाद त्योहारों में
------------------------------------------
बारिशों का मौसम हो और प्रेम की अनुभूति न हो, ऐसा हो ही नही सकता | मन के किसी कोने में कोई चंचल गुदगुदाहट, बारिश के इस मौसम में काव्य सृजन की प्रेरणा ज़रूर देती है |काव्य को पढ़ने या सुनने से मिलनेवाला आनंद ही रस है। काव्य मानव मन में छिपे भावों को जगाकर रस की अनुभूति कराता है।इठलाते काले बादल, मन को हर्षाती ठंडी-ठंडी बयार और तन को भिगोती बरखा की फुहारें, ये मदमस्त माहौल प्रेरणा देता ही है नव सृजन को | तो चलिए सोचा जाए उन अनगिनत फूलों की खुशबू , रंग-बिरंगी उड़ती तितलियाँ, भौरों की गुंजन और अरुणेन्द्र का ये नव सृजन ...........
 तुम सागर मैं रेत का आँचल
-----------------------------

एक ख़याल सा आया मन में, कि सागर और रेत के बीच क्या रिश्ता हो सकता है | बहुत करीब हैं दोनों लेकिन दरम्यान सन्नाटा क्यूँ पसरा रहता है दोनों के बीच | दूर दूर से आती नदियों को तो अपने में समाहित कर लेता है, किन्तु रेत .................और उसका नसीब ....||| बस ख्यालों को सजा डाला मैंने एक प्रेम गीत के रूप में || आइये आप भी इस वियोग सृंगार का आनंद लीजिये ||



 तुम नदी सी बहो चंचला
------------------------
आज मौसम काफी अच्छा हो रहा था. सुबह से ही धूप बादलों संग आँखमिचौली कर रही थी, घटाएं रह रह कर अंगराई ले रही थीं, हवा के झोंके पायल की धून पर नृत्य कर रही थीं, आज रूप-श्रृंगार की मादकता में लिप्त कवि बन जाने का मन कर रहा था, बरसात और है क्या, किसी प्रेमी के उसकी प्रेमिका के हेतु सन्देश. सावन धरती के उबटन श्रृंगार का समय, जब वसुधा के रूप को सींचा जाता है, हर ओर प्रेम ही महकता है, हवाओं की थिरकन से लेकर, वातावरण के यौवन तक. और ऐसे में कोई चंचला नदी आकर गिरे सब्र के बाँध पर... तो ........................बस शब्दों की शरारत और सुरमई हरारत आपके नज़र |||

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

वेद पढ़कर क्या मिलेगा 
---------------------