Saturday, January 7, 2017

 नया खोजने को जो हम चले 
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समय की गति अजीब है मित्रों, मन को अच्छा नहीं लगता, मगर पुरानी दोस्तियां पीछे छूटती जाती हैं. और एक वक़्त ऐसा आता है जब पुराने मतलबों के बेमतलबपने के मुहाने पहुंचकर सामने उदासियों का जैसे एक पूरा समंदर खुल जाता है. देखिए उसे जी भरकर जितना देख सकते हों.

शायद पुरानी दोस्तियां बनी भी रहती हैं, लेकिन एक बैलगाड़ी की तरह जिसे दो अलग अलग विचारों के बैल खीचने की कोशिश कर रहे हों.
सभ्यताएं और सम्बन्ध बहुधा इन्हीं खड़खड़ाती बैलगाड़ि‍यों से बंधी, खिंची, चली चलती हैं. और उनके होने, बने रहने का कुछ समय तक भरम बना रहता है. बस वैसे ही जैसे आईने में चेहरे पर हाथ फेर खुद को 'बुरा नहीं लग रहा' का विचार करते रहना, और धीरे धीरे चले जाना पुराने वक़्त के समंदर की तलहटी पर.
ना जाने किस तलाश में हम कभी पीछे मीलों भागते हैं, तो कभी सालों आगे. इसी तलाश में दीवाना होते रहने का अव्याख्यायित रहस्य भरा संगीत है जीवन, जो ज़ाहिर है, कभी मनों को हंसाता है और कभी रुलाता है.
खैर आइये चले थोड़ी दूर इस सृजन के साथ ....

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