जीवन के इस मरुस्थल पर
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जीवन जितना व्यस्त आनंद उतना ज्यादा | सच तो यही है, आज को जी लो | पिछले
चार दिनों से व्यस्तता अपने चरमोत्कर्ष पर है | २३ अगस्त को लाजपत भवन
प्रेक्षाग्रह में हमारे संसंस्थान सालाना प्रोग्राम की तैयारी के साथ साथ
24 अगस्त को उसी स्थान पर मकरंद देशपांडे जी का बहुत ही ज्यादा विख्यात
प्ले " सर सर सरला" के मंचन की तैयारियां | और आज का दिन निकला विद्यार्थी
सम्मान में, साथ ही कुछ पल परिवार के साथ |कुल मिलाकर लब्बोलुआब ये की ऐसे
बीते हैं ये चार दिन की जनाब बस आज और इसी क्षण पर जिए हैं | और सच बोलें,
आज पर जीने से बड़ा कोई आनद नहीं | इसी व्यस्ततम समय से निकली ये चार
पंक्तियाँ आपकी नज़र | पसंद आये तो आनद उठाइए || आपका ...अरुणेन्द्र
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