Thursday, December 8, 2016
फिर वापस ऋतु बदलेगी /
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आओ सर्द रातें...कुछ भीगी रातें, ज़ज्बात की आंधियां, अपनी दास्ताँ सुनाती सिलवटे,तुम्हारी लाल डोरे लिए आँखे और ................स्पर्श की गरिमा....
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