रिश्ते बदल गये थे कितने
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आज के रिश्ते
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सच है दोस्तों, आज के इस दौर में
रिश्तों में भी न जमकर खरीद फरोश्त हो गयी है | और मेरी तरह शायद आपने भी
वक़्त के साथ साथ लोगों को आपकी जिंदगी में आते जाते देखा होगा |पर सोलह आने
का सवाल तो ये है, कि क्या सच में रिश्तों में भी हमें गुणा भाग लगाने की
दरकार होती है, या फिर वाकई रिश्ते अलमस्त निभाये जाने चाहिए | खैर अपनी
सोच अपना विचार और अपना व्यवहार ... मैंने तो बस रची हैं इसी के इर्द गिर्द
लाइने ये दो चार |||
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