Saturday, December 10, 2016


वो सर्द गुनगुनी धुप
जीवन का आनंद, बीते कल की यादों और आने वाले कल की कल्पनाओं में समाहित होती है | वर्तमान में रहना भी तभी संभव है, जब गुज़रा कल याद आता रहे |
अतीत के चलचित्र से खट्टे मीठे अनुभवों को निकालकर वर्तमान की थाली में सजाया जाए | शायद गुज़रे कल से जुड़ना ही जीवन के नवनिर्माण की सृजनात्मकता संजोये होती है |
बस ऐसे ही कुछ कोमल अहसासों को पिरोने की कोशिश की है एक अंतराल के बाद|

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