Thursday, December 8, 2016


अब कहाँ प्रेम में कृष्णा की बांसुरी है
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समाज और व्यक्ति
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समाज और व्यक्ति, दोनों का अस्तित्व एक दूसरे के आदर पर टिका है। पर आजकल तो सब उलट पलट गया है। पूरी दुनिया में पारंपरिक समाज खत्म होने के कगार पर है। पुराने मूल्यों को बचाने की कोशिश में लगे लोग भी थकने लगे हैं। विकास की गति के साथ सामंजस्य बिठाने की जद्दोजहद बहुत मुश्किल लग रही है। वर्जनाओं से मुक्त होने के लिए बस एक दौड़ जारी है।।।। सच ही तो है, अब प्रेम के भी पर्याय बदल गये हैं।।

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