Thursday, December 8, 2016


 आँखों ने आँखों को देखा, युगों बाद त्योहारों में
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यादों की बौछारें
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त्योहारों के मौसम शुरू और शुरू हुआ मोहब्बत भरी यादों का सिलसिला | अब धनतेरस की भीड़ में ना जाने कितनो की मोहब्बत अपने बच्चों के हाथ पकड़े बाज़ारों में नज़र आयेंगी और कहीं गलती से सामने जनाब टकरा गए तो ............................. तो क्या कह देंगी " बेटा मामा से नमस्ते करो". और मामा बेचारा ...बस यही तो है ज़िंदगी... खट्टी मीठी | बस ऐसे ही तो गुज़र जाते हैं बीस तीस साल | बहुत मगजमारी है दोस्तों जिंदगी में | खोपड़ी को हर वक़्त चिंताओं में मत खपाए रहा करो | देश दुनिया को तो चलते ही रहना है | हम सब को खटना भी है, और कमाना भी है \ पर याद ज़रूर रखिये कहीं इसी खटने और जुटने में हम उन आँखों को तो नही भूल गये, जहाँ कभी डूबने को अरमान मचलते थे | वैसे इतनी बोल्ड पोस्ट वो भी करवाचौथ के एक दिन पहले | हे भगवान् ...रक्षा करना ... || अरे वो सब मैं देख लूँगा .. आप तो बस मज़ा लो इस गीत का....

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