Thursday, December 8, 2016

मन भरा उमंगो से
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पिछले तीन दिनों से संस्थान के सेमिनार और सर मकरंद देशपांडे जी के महान प्ले "सर सर सरला" का अविश्वसनीय, अकल्पनीय, अद्भुत प्रस्तुति ने आनंद की असीम अनुभूतियों से ओत प्रोत कर दिया था | अविस्मर्णीय प्रेम की परिभाषा ने प्रेरणा को जाग्रत किया की कि सृजन करो कवि अरुणेन्द्र कुछ प्रेम से भरपूर, जो आनंद के चरमोत्कर्ष तक ले जाए ||| पेश है आपके लिए मेरा ये संयोग श्रंगार का प्रयास ........................

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