Thursday, December 8, 2016

 

 वो प्यार का मौसम कहाँ गया 
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जीवन के दो पक्ष हैं। एक उज्जवल पक्ष है जो मन की प्रसन्नता, खुशी, सफलता और रंजित अभिव्क्ति को अभिव्यक्त करता है तो दूसरा स्याह पक्ष दिनानुदिन की कठिनाइयों, समस्याओं, जटिलताओं और असफलताओं का परास है जो दुख, कष्ट, असन्तोष और वेदना जैसे मनोभावों में अभिव्यक्त होता है। व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन इन्हीं विभावों के स्पर्श के साथ आगे बढ़ते रहने की अनुभव कथा बन जाता है। समस्याएं कठिनाइयां और जटिलताएं जीवन की नियति है तो इस नियति पर विजय पाना हमारा धर्म है। स्याह, उदास और दर्द भरे दिनों से उबरने के लिए ज़रूरी है की मन को कही और ले जाया जाए | ऑफिस के केबिन से बाहर रिमझिम बूंदों का संसार खींच कर ले जाता है और कराता है कुछ सृजन, कुछ शब्दों की शरारत और विचारों की हरारत ......................बस कुछ यूं ही आज फूट पड़े मन के मनके मन से मन तक ........ हाँ एक अरसे बाद .. आप भी लुफ्त उठाइए ..




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