Thursday, December 8, 2016


युवाओं की शिराओं में फड़कता रक्त बोलेगा
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परिवर्तन नितांत आवश्यक है,
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पिछले तीन- चार दिनों से सेमिनार्स के दौरान मेरी युवाओं से कई विषयों पर बातचीत हुई थी, जिसमे एक बात जो निकलकर सामने आई, वो उनमे जगा आशावाद | कल क्या होगा, कोई नहीं जानता | और कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, सब भविष्य के गर्भ में है | पर युवाओं के दिमाग में एक बात बहुत गहराई से बैठ गयी है, की अब भारत को बदलता होगा | छिछली राजनीति को पारदर्शी होना होगा | और शायद ये परिवर्तन की बयार सब महसूस कर रहे हैं | मेरे बहुत सारे मित्र मेरी बातों से सहमत नही होंगे, क्यूँ की विचारधाराओं का अंतर है | लेकिन मैं एक बात से आश्वस्त करना चाहूँगा, की जो भी हो रहा है, वो कही न कहीं एक आशावाद को जन्म दे रहा है | और सबसे ज़रूरी है हमारे युवाओं की आँखों में सपने जग जाना

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