Thursday, December 8, 2016

कल गुलाबी शरद का हुआ आगमन
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अभिन्न मित्रों,
विगत कुछ दिनों से हम सभी सिर्फ और सिर्फ एक ही जंजाल में उलझे हुए हैं | जीवन दर्शन की विविधता को हम बिलकुल भूल गए हैं | सच भी है समाज और देश एक अजीब कशमकश के दौर से गुज़र रहा है, कि आने वाली सुबह कैसी होगी | दो धाराओं में बंटा पूरा समाज आज एक अजीब उथलपुथल में है | चलिए ये संसार है विविधताएं इसकी विशेषता है | बस हमें जागते रहना है, और नज़र डालते रहना है आस पास घटित हो रहे परिवर्तनों पर और उन्हें जीते जाना है, रोज़मर्रा की जिंदगी में | क्यूँ की सच तो ये है कि क्या पता कल हो न हो ......................... आपके लिए अभी अभी सृजित ......आनन्द लीजिये .. इस सामाजिक सरोकार से सजाये गीत का ...........................................

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