Thursday, December 8, 2016
देह की धरती बन गयी कनवास
एक देह गीत....
कैनवास और कल्पना का संसार कोई भी कृति उकेर सकता है।।। और जब देह ही कैनवास बन जाये, तो कल्पनाओं का संसार अकल्पनीय हो जाता है।।।
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