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ये जो ख़याल हैं ना, बहुत भागते हैं | सोचो ये चाँद युगों युगों से मोहब्बत की रवायतों को देख रहा है | एक पखवारा जब वो नही होता है इस आसमान पर तो क्या दिल नही करता उसको तोड़कर टांक देने का अपने महबूब के काँधे पर, ताकि उनके दीदार में कोई खलल ना पड़े |
अब ये ज़रूरी तो नही कि उम्र के इस मोड़ पर मोहब्बत के रंग फ़ीके हो जाए या चाँद हमारे लिए अपने माने बदल दे....
चलिए फिर आइये जी लिया जाए कुछ शब्दों को प्रेम में पगा कर के....
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